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यूरोप यात्रा-8

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                यू पहुंचे सपनो के शहर   लंदन                      विजय   सिंह  ' कौशिक ' आखिरकार आज इस लंदन को साक्षात देखने का मेरा बचपन का सपना पूरा होने जा रहा था। हालांकि अभी भी मन मे दुविधा   थी। लंदन जाने को लेकर अभी भी उहापोह की स्थिति बनी हुई थी। दरअसल मेरे यूके के वीसा में स्पेलिंग मिस्टेक हो गई थी। आखिरकार यह सोच कर यात्रा करना तय किया कि यदि इमिग्रेशन अधिकारियों ने नहीं जाने दिया तो एयरपोर्ट से लौट आएंगे। नीदरलैंड के अपने मित्र लुइस भाई को भी बता दिया कि अपने तीनों साथियों के साथ मैं भी लंदन जा रहा हु। नहीं जा पाया तो वहाँ से सीधे आप के घर पहुच जाऊंगा। पेरिस के होटल से चेक आउट कर पास में स्थित रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ कर एयरपोर्ट पहुचना था। नारो दे रेलवे स्टेशन से जो ट्रेन मिलती है ,  वह सीधे एयरपोर्ट के भीतर पहुचा देती है। प्लेटफॉर्म और एयरपोर्ट के बीच बस एक सीढ़ी का अंतर है। स्वचालित मशीन से हमने टिकट खरीदा और एयरपोर्ट वाली ट्रेन पकड़ने प्लेटफ़ॉर्म पर पहुँच गए। मैं और दिनेश ट्रेन में सवार हो गए पर आदित्य जी राजकुमार जी के ट्रेन पकड़ने से पहले

मेरी पूर्वोत्तर यात्रा-1.......शिलांग में राजस्थान

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                                                 शिलांग में राजस्थान राजस्थान                                                           विजय सिंह ‘कौशिक’ जिंदगी यादों का कारवां है। हम भी अपने इस यादों के कारवे में आप सब को शामिल करने जा रहे हैं। देश के पूर्वी हिस्से जिसे नार्थ ईस्ट यानि पूर्वोत्तर के नाम से जानते हैं, भारत का यह इलाका देश के बाकी हिस्से से लगभग कटा हुआ है। हालांकि हाल के वर्षों में लोगों की दिलचस्पी पूर्वोत्तर में बढ़ी है। काफी दिनों से पूर्वोत्तर यात्रा के बारे में सोच रहा था। सितम्बर, 2015 की एक दोपहर मंत्रालय में खबरों की तलाश के दौरान   एशियन एज के विशेष संवाददाता मेरे मित्र विवेक भावसार ने बताया की हम कुछ पत्रकार मित्र पूर्वोत्तर यात्रा की योजना बना रहे हैं। क्या आप भी चलना चाहेंगे ? मैं तो पूर्वोत्तर देखने के लिए कब से लालायित था। इस लिए हां कहने में जरा भी देर नहीं की। धीरे धीरे पूर्वोत्तर जाने वाले पत्रकार साथियों की संख्या बढ़ते बढ़ते 18 तक पहुच गई। आख़िरकार पूर्वोत्तर यात्रा की तिथि भी तय हो गई। एयर टिकट सस्ते मिले इस लिए एक माह पहले ही टिकटो

मेरी यूरोप यात्रा-1 MY Europe Travel

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                                  यूरोपीय वीजा के लिए करनी पड़ी बड़ी मशक्कत                                       विजय सिंह कौशिक पिछले   साल ही लंबे इंतजार के बाद मेरी पहली विदेश यात्रा का मुहूर्त निकला था। इस बीच नीदरलैंड्स में रहने वाले मेरे मित्र लुइस छेड़ी जी का यूरोप आने का आमंत्रण मिलता रहता था। व्हाट्सएप के माध्यम से हमारी बातचीत होती रहती है। इस साल के शुरुआत में लुइस भाई का व्हाट्सएप कॉल आया। उन्होंने कहा कि मई में भांजे की शादी है और उसके बाद रिसेप्शन, आ जाओ। भारतीय मूल के लुइस छेदी के पूर्वज करीब 140 साल पहले यूपी से सूरीनाम गए थे। सूरीनाम हॉलैंड ( अब नीदरलैंड) का उपनिवेश था। इस लिए सूरीनाम के लोगों को हॉलैंड की नागरिकता मिल गई। आज करीब ढाई लाख सुरीनामी भारतीय ( इन्हें वहां सुरीनामी इंडियन कहते हैं) नीदरलैंड में रहते हैं। नीदरलैंड के सुरीनामी इंडियन आज भी अपनी भाषा संस्कृति को बचाये रखा है।  वे डच भाषा के साथ अवधि- भोजपुरी भी बोलते हैं। भाषा ही वह माध्यम था जिसकी वजह से हमारी मित्रता प्रगाढ़ हुई। लुइस भाई से आदित्य दुबे ( नवभारत के डिप्टी चीफ रिपोर्ट

यूरोप यात्रा-9

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                लंदन की थेम्स , बनारस की गंगा                                                                    विजय सिंह ‘कौशिक’ लंदन के थेम्स नदी पर बना लंदन ब्रिज   एक दिन पहले हम लंदन पहुंचे थे। वह पूरा दिन यात्रा और भारतीय दूतावास के कार्यक्रम में बीत गया था। वास्तव में लंदन यात्रा अब शुरू होने वाली थी। 19 मई 2018 की सुबह हमने लंदन से 35 किलोमीटर दूर लूटन में आंख खोली। लूटन लंदन के पास स्थित एक शहर है , जैसे अपनी मुंबई के आसपास वसई - विरार और कल्याण - दिवा जैसे इलाके हैं। पर वहां लूटन से लंदन तक आने-जाने के लिए अमानवीय स्थित में यात्रा नहीं करनी पड़ती। सुबह 10 बजे विनोद भाई शाह जी के घर से नास्ता कर हम लंदन भ्रमण के लिए निकले। विनोद भाई हमें रेलवे स्टेशन तक अपनी कार से छोड़ने जा रहे थे। रास्ते मे एक क्रिकेट ग्राउंड दिखाई दिया। विनोद भाई ने बताया कि यह लूटन इंडियन क्रिकेट क्लब है। स्थानीय भारतीयों ने यह क्रिकेट क्लब बनाया है। यह जानकर हमे यहां कुछ समय रुकने का मन हुआ।                   लंदन निवासी नट्टू भाई के साथ                                        

यूरोप यात्रा-8

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                        यू पहुंचे सपनों के शहर   लंदन                 विजय   सिंह  ' कौशिक ' लंदन के साईथइंड एयरपोर्ट पर  आज ( 18  मई   2018)  पेरिस को अलविदा करने का समय आ गया था। दोपहर 12   बजे हमारी पेरिस से लंदन के लिये फ्लाइट थी। मेरा एक सपना पूरा होने जा रहा था। जब से मैंने होश संभाला है , भारत से बाहर लंदन ही वह एक जगह है ,  जहाँ जाने की मैं कल्पना करता था। शायद इतिहास में रुचि होने कारण इस शहर के प्रति यह रुचि उपजी हो। आखिर   200  सालों से अधिक समय तक हमारे देश के भाग्य का फैसला इसी शहर लंदन से तो होता रहा। इसी शहर से अंग्रेजों ने इतने लंबे समय तक भारत पर राज किया। इसी शहर ने भारत को इंडिया बनाया जो आजादी के   70  वर्षों बाद भी भारत नहीं बन सका। भारत उर्फ इंडिया के इतिहास के पन्नो में लंदन का नाम बार-बार दर्ज है। इस शहर का नाम देश के दूरदराज के गांवों में रहने वाला बुजुर्ग भी जानता है। हमारी बॉलीवुड की फिल्मों में भी अक्सर यह शहर दिख जाता है। लंदन के ट्यूब ट्रेन प्लेटफार्म पर  आखिरकार आज इस लंदन को साक्षात देखने का मेरा बचपन का सपना पूरा

यूरोप यात्रा-7

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                       पेरिस में मोनालिसा का दीदार                                                           विजय सिंह 'कौशिक' पेरिस के सुप्रसिद्ध संग्रहालय लूव्र के स्वागत कक्ष पर हिंदी में उपलब्ध जानकारी पुस्तिका  आज पूरा पेरिस शहर घूमने की योजना बनाई गई थी। पेरिस में कई पयर्टक बस सेवाएं चलती हैं। हमारे होटल के सामने से ही यह पर्यटक बस मिलती थी। सुबह 10 बजे तैयार होकर हम चारों साथी बस स्टॉप पर पहुँच गए। खुली छत वाली बस में नीचे वातानुकूलित कंपार्टमेंट और ऊपर डेक पर खुली जगह होती है। 30 यूरो (2400 भारतीय रुपया) का टिकट खरीद कर हम इस बस में सवार हो गए। बस में मुफ्त वाई-फाई की सुविधा थी, जिसका हमने जमकर लुत्फ उठाया। व्हाट्सएप वीडियो कॉलिंग के जरिये मुंबई में बैठे घर वालो को भी पेरिस की सैर करा दी। यह बस  शहर के विभिन्न पर्यटन स्थलों तक ले जाती है। आप वह बस छोड़ कर जिस स्थान पर जितना समय चाहे रुक सकते हैं और फिर अगली बस में सवार हो सकते हैं। हमारा पहला पड़ाव था सुप्रसिद्ध सेंट चैपल चर्च। यहाँ कुछ समय चहल कदमी कर हम आगे की यात्रा के लिए दूसरी बस पकड़ने के लिए बस स्टॉ

मेरी यूरोप यात्रा-6 एफिल टॉवर से पेरिस का दीदार

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                                              एफिल टॉवर से पेरिस का दीदार  पेरिस में एंफिल टॉवर के सामने सहयात्री आदित्य दुबे, दिनेश सिंह और मैं (विजय सिंह कौशिक)                                                                                                                       विजय सिंह कौशिक  पेरिस    घूमने के लिए हमारे पास सिर्फ 3 दिन का समय था। इस लिए जिस दिन पेरिस पहुंचे ( 15 मई 2018) उसी दिन एफ़िल टावर जाने के लिए होटल से निकल लिए। हमारा होटल ला-चैपेल मेट्रो स्टेशन के बिल्कुल करीब था। होटल के रिशेप्सन पर पहुँच कर हमने होटल के कर्मचारी जॉन से  एफ़िल टॉवर जाने की इच्छा जताई तो उन्होंने हमें मार्क कर के शहर का नक्शा पकड़ा दिया। उन्होंने ला चैपेल से मेट्रो ट्रेन पकड़ कर एफ़िल टॉवर पहुचने का रास्ता अच्छी तरह समझा दिया। स्टेशन पहुँच कर राजकुमार जी टिकट खिड़की पर टिकट लेने गए तो एक भारतीय लड़की बुकिंग क्लर्क की सीट पर बैठी दिखाई दी। फ्रांस के मेट्रो रेल में एक भारतीय कर्मचारी को देख कर हमें खुशी हुई। राजकुमार जी ने उससे बातचीत की तो पता चला कि वह फ्रांस में ही पैदा हुई है। उसक