यूरोप यात्रा-8
यू पहुंचे सपनो के शहर लंदन विजय सिंह ' कौशिक ' आखिरकार आज इस लंदन को साक्षात देखने का मेरा बचपन का सपना पूरा होने जा रहा था। हालांकि अभी भी मन मे दुविधा थी। लंदन जाने को लेकर अभी भी उहापोह की स्थिति बनी हुई थी। दरअसल मेरे यूके के वीसा में स्पेलिंग मिस्टेक हो गई थी। आखिरकार यह सोच कर यात्रा करना तय किया कि यदि इमिग्रेशन अधिकारियों ने नहीं जाने दिया तो एयरपोर्ट से लौट आएंगे। नीदरलैंड के अपने मित्र लुइस भाई को भी बता दिया कि अपने तीनों साथियों के साथ मैं भी लंदन जा रहा हु। नहीं जा पाया तो वहाँ से सीधे आप के घर पहुच जाऊंगा। पेरिस के होटल से चेक आउट कर पास में स्थित रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ कर एयरपोर्ट पहुचना था। नारो दे रेलवे स्टेशन से जो ट्रेन मिलती है , वह सीधे एयरपोर्ट के भीतर पहुचा देती है। प्लेटफॉर्म और एयरपोर्ट के बीच बस एक सीढ़ी का अंतर है। स्वचालित मशीन से हमने टिकट खरीदा और एयरपोर्ट वाली ट्रेन पकड़ने प्लेटफ़ॉर्म पर पहुँच गए। मैं और दिनेश ट्रेन में सवार हो गए पर आदित्य जी राजकुमार जी के ट्रेन पकड़ने से पहले